पापा:
बेटा, कल तेरा नया सफर शुरू हो रहा है… कैसे लग रहा है?
बेटी:
(मुस्कुराते हुए)
थोड़ी खुशी है… थोड़ी घबराहट भी, पापा। सब कुछ बदल जाएगा ना अब।
पापा:
(हंसते हुए)
बदलाव तो आएगा ही, लेकिन एक बात याद रखना… तू जहां भी जाएगी, अपनी सच्चाई और अपने संस्कार साथ लेकर जाना। वही तेरा सबसे बड़ा सहारा होंगे।
बेटी:
पापा… वहां सबको खुश कैसे रखूँगी? कहीं कोई गलती हो गई तो?
पापा:
(प्यार से बेटी का हाथ पकड़ते हुए)
गलती करना बुरा नहीं है बेटा… सीखने की शुरुआत वहीं से होती है।
दिल से सबको अपनाना, इज्ज़त देना… और सबसे बड़ी बात, खुद को भी मत भूलना।
तेरी मुस्कान ही तेरा सबसे बड़ा तोहफा होगी उस घर के लिए।
बेटी:
(आंखों में आंसू के साथ मुस्कुराते हुए)
आपसे दूर कैसे रहूँगी, पापा?
पापा:
(आंखों में नमी लेकर)
दूरी सिर्फ रास्तों में होती है बेटा, दिलों में नहीं।
तेरा पापा हर दुआ में, हर खुशी में तेरे साथ रहेगा।
जहाँ तुझे लगे कि थमना है… समझ लेना, मेरी दुआओं का हाथ तेरे सिर पर है।
बेटी:
(पापा से लिपटते हुए)
आपका आशीर्वाद चाहिए, बस। बाकी सब ठीक हो जाएगा।
पापा:
(बेटी के सिर पर हाथ फेरते हुए)
हमेशा रहेगा बेटा… हमेशा।
अब बस एक बात याद रख — जहाँ भी रहो, वहां अपने प्यार और धैर्य से घर को मंदिर बना देना।
(दोनों चुपचाप बैठे आसमान की ओर देखते हैं… जहां एक नया सफर उनका इंतज़ार कर रहा है।)
पापा:
(धीरे से)
चाँद भी आज कुछ उदास लग रहा है बेटा… शायद उसे भी पता है कि उसकी छोटी परी अब उड़ान भरने वाली है।
बेटी:
(मुस्कुराते हुए, पर आंखें नम)
पापा… आप तो हमेशा कहते थे कि एक दिन मैं उड़ जाऊँगी… आज सच में डर लग रहा है।
पापा:
(हाथ थामते हुए)
डर मत बेटा,
“जहाँ विश्वास होता है,
वहीं घर बसता है।”
तेरे प्यार से, तेरी मुस्कान से, तेरा नया संसार भी रोशन होगा।
बेटी:
(धीरे से)
अगर कभी रास्ते मुश्किल लगे तो, क्या करूँ पापा?
पापा:
(आंखों में चमक के साथ)
“हर मुश्किल में अपना आपा मत खोना,
छोटे-छोटे लम्हों में खुशियों को पिरोना।
जहाँ भी लगे कि थमने का मन है,
बस आँखें बंद कर मेरे आशीर्वाद को महसूस करना।”
बेटी:
(हंसते हुए, पर गला रुंधा हुआ)
पापा… आपकी गोदी से बढ़कर कोई सुकून नहीं मिलेगा शायद…
पापा:
(आंसू रोकते हुए)
“बेटियाँ दूर जाती हैं, पर दिल से नहीं,
तेरी हर खुशी में, हर आंसू में, मैं तेरे साथ रहूँगा।”
बेटा, तू जहाँ भी रहे, बस अपने संस्कारों की खुशबू फैलाना।
बेटी:
(पापा से लिपटकर)
आपसे वादा करती हूँ पापा… आपके सपनों को शर्मिंदा नहीं होने दूँगी।
पापा:
(माथा चूमते हुए)
मुझे तुझ पर हमेशा गर्व रहेगा…
जा बेटा,
“अब तू परियों का नहीं, सपनों का सफर तय करेगी।
हर दुआ, हर आशीर्वाद तेरे कदमों के साथ चलेगा।”