-
नेहा मल्होत्रा – एक इंट्रोवर्ट फ्रीलांसर
-
विक्रम – उसका मंगेतर
-
अनजान कॉलर – जिसकी हर बात नेहा की ज़िंदगी बदल देती है
नेहा कुछ दिन के लिए शहर की भीड़ से दूर, शिमला के एक पुराने पहाड़ी बंगले में आई है। बर्फबारी हो रही है, चारों तरफ सन्नाटा है।
एक रात, 11:47 PM, उसके फोन पर एक कॉल आता है – “Unknown Number”
नेहा उठाती है…
“वो तस्वीर मत देखो… वो तस्वीर तुम्हें ले डूबेगी…”
कॉल कट जाता है।
नेहा चौंकती है। लेकिन किसी से बात नहीं करती। अगले दिन वो बंगले के एक पुराने कमरे में जाती है जहां एक बहुत पुराना ट्रंक रखा है। ट्रंक में एक पुरानी फोटो मिलती है – तीन लोग… उनमें से एक दिखने में हूबहू विक्रम जैसा है – लेकिन तस्वीर 1965 की है।
रहस्य गहराता है…
नेहा, विक्रम से जब ये फोटो दिखाती है, तो वो चौंक जाता है, लेकिन जल्दी से बात टाल देता है।
उसी रात फिर कॉल आता है –
“वो इंसान नहीं है नेहा… भाग जाओ।”
विक्रम अब नेहा को परेशान करने वाला लगता है। उसके सवालों पर गुस्सा करता है, और कहता है – “ये सब तुम्हारे वहम हैं।”
नेहा को धीरे-धीरे यकीन होने लगता है कि ये बंगला, ये तस्वीर और विक्रम – तीनों जुड़े हुए हैं।
नेहा की खोज…
नेहा लाइब्रेरी जाती है, अखबारों की कटिंग निकालती है, और एक खबर मिलती है –
“1965 में इस बंगले में एक महिला की हत्या हुई थी। आरोपी – उसका मंगेतर विक्रम वर्मा, जो आज तक लापता है।”
नेहा के हाथ कांपने लगते हैं। विक्रम का चेहरा उस अखबार की तस्वीर से बिल्कुल मिलता है।
नेहा घर लौटती है। दरवाज़ा अंदर से बंद है।
विक्रम खड़ा है… हाथ में वही पुरानी तस्वीर।
विक्रम (धीरे से):
“इतने सालों से कोई उस ट्रंक तक नहीं गया था… पर तुम गई… तुमने मुझे फिर से ज़िंदा कर दिया…”
नेहा की आंखें चौड़ी हो जाती हैं।
विक्रम की परछाईं… इंसान की नहीं थी।
उसकी आंखें काली हो जाती हैं, और कमरा अचानक ठंडा पड़ जाता है।
अगली सुबह पुलिस आती है —
बंगला खाली है। सिर्फ दीवार पर एक नोट लिखा है –
“मैंने तस्वीर देखी… बहुत देर हो गई थी।”
– नेहा।
आप इस कहानी को कितनी रेटिंग देंगे (10 में से)?
❤️🔥 कमेंट करके बताएं — और हां, अकेले मत पढ़िएगा!