Tuesday, July 1, 2025
HomeStoryयह कहानी दो बुज़ुर्गों की एक दिल छू लेने वाली बातचीत पर...

यह कहानी दो बुज़ुर्गों की एक दिल छू लेने वाली बातचीत पर आधारित है

 

एक सुनसान रास्ते पर स्थित बस स्टॉप पर दो बुज़ुर्ग खड़े थे। वहाँ हर रोज़ दो बसें आती थीं — एक गांव से शहर और दूसरी शहर से गांव। दोनों बुज़ुर्ग आपस में बातचीत कर रहे थे।

पहले बुज़ुर्ग बोले:

“मेरी एक पोती है, जो अब शादी के लायक हो चुकी है। उसने अभी-अभी इंजीनियरिंग पूरी की है, नौकरी भी करती है और देखने में भी सुंदर है। क़रीब 5 फीट 2 इंच लंबी है। अगर आपके ध्यान में कोई लड़का हो तो बताइए।”

दूसरे बुज़ुर्ग ने मुस्कराकर पूछा:

“आपकी पोती को कैसा लड़का पसंद है? उसे किस तरह के परिवार में रहना पसंद है?”

पहले बुज़ुर्ग ने कहा:

“कुछ खास नहीं… लेकिन लड़के ने मास्टर्स किया हो, उसके पास खुद का घर हो, गाड़ी हो, घर में गार्डन हो, एसी हो और अच्छी नौकरी हो। सैलरी कम से कम एक लाख रुपए होनी चाहिए।”

दूसरे बुज़ुर्ग ने पूछा:

“और कोई शर्त?”

पहले बुज़ुर्ग बोले:

“हाँ, सबसे ज़रूरी बात… लड़का अकेला रहता हो। उसके माता-पिता, भाई-बहन कोई न हों। क्योंकि साथ रहने से झगड़े बहुत होते हैं।”

दूसरे बुज़ुर्ग की आंखें यह सुनकर थोड़ी नम हो गईं। उन्होंने जेब से रुमाल निकाला, आंखें पोंछी और कहा:

“मेरे एक दोस्त का पोता है। उसे कोई भाई-बहन नहीं है, माता-पिता एक दुर्घटना में गुज़र चुके हैं। उसकी अच्छी नौकरी है, सैलरी डेढ़ लाख के आसपास है। बड़ा सा बंगला है, गाड़ी है, नौकर-चाकर सब कुछ है…”

पहले बुज़ुर्ग की आंखों में चमक आ गई। वे बोले:

“तो फिर रिश्ता पक्का कर दीजिए!”

दूसरे बुज़ुर्ग बोले:

“लेकिन एक बात है… उस लड़के की भी यही शर्त है कि लड़की के माता-पिता, भाई-बहन या कोई रिश्तेदार नहीं होने चाहिए।”

इतना कहते ही उनका गला भर आया। उन्होंने खुद को संभालते हुए आगे कहा:

“अगर आपके पूरे परिवार के लोग आत्महत्या कर लें, तो रिश्ता तय हो सकता है। आपकी पोती बहुत खुश रहेगी…”

पहले बुज़ुर्ग ने नाराज़ होकर बात काटते हुए कहा:

“क्या बकवास कर रहे हो? हमारा परिवार आत्महत्या क्यों करेगा? शादी के बाद उसके सुख-दुख में उसके साथ कौन रहेगा?”

दूसरे बुज़ुर्ग शांत होकर बोले:

“वाह मित्र! आपका परिवार तो ‘परिवार’ है, और दूसरे का परिवार कुछ नहीं? अपने बच्चों को परिवार का महत्व समझाइए — घर के बड़े-बुज़ुर्ग, भाई-बहन, सबका होना ज़रूरी होता है। अगर ये न हों, तो इंसान खुशियों और ग़मों का मतलब ही भूल जाता है। ज़िंदगी बेरंग बन जाती है।”

पहले बुज़ुर्ग शर्म से चुप रह गए।

यदि आप इस कहानी को और अधिक लोगों तक पहुँचाना चाहते हैं, तो इसे सोशल मीडिया पर साझा करें।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments